मंगलवार, 22 मार्च 2016

भविष्य का इंसान (११ फरवरी २०१४ )

भविष्य  भी लोगों का बदलने लगा
हर कोई हाई टेक होने लगा
चलते ही चलते बतलाने लगा
बिन पूछे ही आगे बढ़ने लगा I

माइक्रो चिप ही माइंड में लगवाने लगा
सारा का सारा डेटा भरवाने लगा
चलता फिरता ही गूगल होने लगा
हर किसी के माइंड में सर्च इंजिन होने लगा I

इशारों पर ही कार का इंजिन चलने लगा
चलता फिरता ही इंसान रोबोट लगने लगा
भावनाओं का नाता अब कटने लगा
इंसान ही मशीन अब होने लगा I

दवाईयों के दम पर चलने लगा
बिमारियों  को ठीक वो मकरने लगा
इंजीनियर डाक्टर खुद होने लगा
मल्टी पर्सनालिटी दिखने लगा I
  
इंटरनेट सर्फिंग भी आंखों पर करने लगा
माइंड का चिप ही हर जगह काम करने लगा
आंखों के रेटिना पर डिस्प्ले होने लगा
सभी कुछ आसान सा होने लगा I

इंसान भी मशीनों सा स्कैनिंग करने लगा
और गाड़ियों की तरह  ही रिपेरिंग करने लगा
ऑपरेशन भी रोबोट से करने लगा
शरीर के स्फेयर पार्ट्स बदलवाने लगा I

हर बीमारी का इलाज माइंड में आने लगा
उसका इलाज खुद ही करने लगा
बूढ़ा भी जवान अब होने लगा
जवानी में ही जिंदगी अब काटने लगा I

   कमलेश संजीदा उर्फ़ कमलेश कुमार गौतम 


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